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20 Jun 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . . . नेता

दोहा पंचक. . . . . नेता

नेताओं का हो गया, हो हल्ला अब शांत ।
मांज रहे आराम से, झूठ सने अब दाँत ।।

जनता का धन लूटकर , करें लोक कल्याण ।
कब पिघले यह दर्द से, नेता सम पाषाण ।।

नेताओं का धर्म क्या , क्या इनका ईमान ।
इनका तो संसार में, कुर्सी है भगवान ।।

वादों की ले टोकरी, घूमे ये चौपाल ।
कौन पूछता जीत कर, जनता का फिर हाल ।।

कुर्सी नेता का हुआ, आज बड़ा अरमान ।
लेकिन जन तकलीफ पर, नेता करें न ध्यान ।।

सुशील सरना / 20-6-24

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