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4 Jan 2025 · 1 min read

दोहा पंचक. . . नववर्ष

दोहा पंचक. . . नववर्ष

खुशियों से परिपूर्ण हो ,नवल धवल हर भोर ।
नव सुख की नव वर्ष में, बढ़ती जाए डोर ।।

मंगलमय नव वर्ष हो, हर पल हो खुशहाल।
प्रीति बढ़े नफरत मिटे, हर्ष भरा हो साल।।

बिसरा बीती बात को, नूतन कर संकल्प ।
श्रम से नव निर्माण कर , इसका नहीं विकल्प ।।

आशाओं की सीढ़ियाँ, दिखलाती नव भोर ।
सुख की चले बयार बस ,थमे दुखों का शोर ।।

आगत का स्वागत करें, बढ़ें विगत को छोड़ ।
मची नये संकल्प की, नये साल में होड़ ।।

सुशील सरना / 1-1-25

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