दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
चीर निशा के चीर को, उदित हुआ आदित्य ।
स्वर्ण जड़ित इस रूप का , अद्भुत है लालित्य ।।
झील वीचि पर कौमुदी, बैठ करे शृंगार ।
मेघ ओट से चंद्रमा, करे मिलन मनुहार ।।
करे लालिमा साँझ की, सागर का शृंगार ।
हौले-हौले लहर पर, सूरज करे विहार ।।
सुशील सरना / 17-12-24