दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
दम्भ दुर्ग में खो गए, जीवन के सब मान ।
शून्य हुई संवेदना, दम्भ बना पहचान ।।
अहंकार का मूल है, मन में अति विश्वास ।
जीत राह के खोखले , होते सकल प्रयास ।।
मन के सारे मौन जब, हो जाते वाचाल ।
मिट जाती सब दूरियाँ, मिटते सभी सवाल ।।
सुशील सरना / 18-10-24