दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
बदल- बदल कर जी रहे, लोग यहाँ किरदार ।
थाली के अनुरूप ही, करते वो व्यवहार ।।
नेक विचारों से करो, अंतस का शृंगार ।
पाप कर्म से मुक्ति का, मिल जायेगा द्वार ।।
राजनीति में आजकल, लोटों की भरमार ।
बात मजे की साथ सब, बेपैंदे के यार ।।
सुशील सरना / 13-4-24