दोहा त्रयी. . . . रिश्ते
दोहा त्रयी. . . . रिश्ते
दूर न हों नजदीकियाँ, मधुर रहें संबंध ।
ऐसे रिश्तों की कभी, मन्द न होती गंध ।।
रिश्तों के मकरंद की, बड़ी अजब तासीर ।
जितना सींचो प्रेम से, निखरे यह तस्वीर ।।
रिश्ते नाजुक काँच से, रखना जरा सँभाल ।
पछताते हैं लोग जो , रखते नहीं खयाल ।।
सुशील सरना / 22-12-24