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15 Oct 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . दम्भ

दोहा त्रयी. . . दम्भ

हर दम्भी का एक दिन , सूरज होता अस्त ।
रावण जैसा सूरमा, होते देखा पस्त । ।

निश्चित करता दम्भ का, नाश समय का काल ।
साँझ ढले तो भानु भी , चलता धीमी चाल ।।

दीमक है इंसान के, जीवन में यह दम्भ ।
अपने ही विश्वास के, नष्ट करे यह खंभ ।।

सुशील सरना / 15-10-24

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