दोहा गीत
बन अज्ञानी तू नहीं, ऐ भोले इंसान
जीवन ये अनमोल है, रखले पूरा ध्यान
आँखों में जो बन्द हैं, तेरे अनगिन स्वप्न
पूरे करने के लिये, करने होंगे यत्न
माना लंबा है सफर, पर मत मान थकान
बन अज्ञानी तू नहीं, ऐ भोले इंसान
मोती मिलते हैं कभी, रहते खाली हाथ
चलती है ये ज़िन्दगी, हार जीत के साथ
यहाँ हौसलों से भरी,भरनी पड़े उड़ान
बन अज्ञानी तू नहीं, ऐ भोले इंसान
सद्कर्मों के साथ रख, सदाचार के भाव
भव से होगी पार तब, जीवन की ये नाव
छोटी सी है ज़िन्दगी,खुद को दे पहचान
बन अज्ञानी तू नहीं,ऐ भोले इंसान
21-11-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद