दोहापंचक. . . आस्था
दोहापंचक. . . आस्था
वट वृक्षों पर बाँधते, सब मन्नत का सूत ।
कोई वैभव माँगता, कोई माँगे पूत ।।
कहते हैं वट वृक्षों में, करें देवता वास ।
अपने भक्तों की सदा, पूरी करते आस ।।
टूटे तारे को सभी, मानें प्रेम प्रतीक ।
मिटी न इस विश्वास की, कभी आज तक लीक ।।
पूरी होगी आस्था ,हो पक्का विश्वास ।
पाहन भी पूरी करें, मन की इच्छित आस ।।
पैसा फैंका झील में, कह दी मन की बात ।
मन का हर विश्वास फिर, उभरे बन सौगात ।।
सुशील सरना / 4-12-24