दोहन करें
उसूलों को रख ताक पर बने रहा सुजान,
मुट्ठीभर राख जा बनी,नाम जाको श्मशान,
कहते कहते न थके, प्रशंसा में प्रसंग,
मदमस्त चले चाल , तुरंग जस् मतंग.
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पोती परपोती दोयत, यात्रा चार धाम,
पुरुषार्थ चार,नहीं तजे,सर्वप्रथम काम.
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बारिश आवत देख कर, किसान दौड़
खलिहान की ओर,शेष सब कुछ छोड़
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मलिन पहनावे देखकर, गेल्या लगा संसार,
हुंकार सुन वे पीछे हटे यो माणस आरंपार.
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मन राजसी मन आलसी मन सात्विक
मन पंछी मन तुरंग मन यति अधिरेक.
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