Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2024 · 3 min read

दोस्ती।

दोस्ती।

दोस्ती बहुत बार बड़ी आसानी से हो जाती है। एक ऐसा इंसान हमारी जिंदगी में आ जाता है,जो प्यार और विश्वास की खुशबू लेकर आता है। हमारी परवाह करता है। हमारा दुःख दूर करने की कोशिश करता है।

हमारे दिल की हर बात सुनता है और अपनी भी बताता है। हमारी खुशी में खुश होता है। गमों को समझता है।

लेकिन फिर भी बहुत बार,बहुत-से लोग दोस्ती की कद्र नहीं कर पाते। उनके अंदर का स्वार्थ दोस्ती पर भारी हो जाता है। अपनी बेमानी आदतें,बेवकूफियाँ लाख बार समझाने पर भी छोड़ नहीं पाते। दोस्ती को बस एक बेकद्री का रिश्ता बना देते हैं।

उन्हें लगता है जो दोस्ती आसानी से बन गई, वो आसानी से बनी भी रहेगी। जो दोस्ती एक वरदान की तरह मिल जाती है उसे महत्वहीन बनाने लग जाते हैं।

अपने दोस्त की हर बात की उपेक्षा करने लगते हैं। जो उनके हर दुःख में,हर गम में साथ देता है उस दोस्त के हर दुःख पर उन्हें हंसना आता है।

दोस्त की हर बात,हर जरूरत को अनदेखा और अनसुना करते रहते हैं। जो दोस्त हर जगह साथ देता है उसे तुच्छ समझने लगते हैं।

और विडम्बना देखिए फिर कहते हैं,कोई अच्छा दोस्त नहीं बनता। कोई दोस्ती निभाता नहीं है। मतलब ये कि खुद ही दोस्ती की बेकद्री करनी है और खुद ही शिकायत करनी है…।

खून के रिश्तें भी अपना सम्मान और प्यार मांगते हैं तो क्या दोस्ती इन सब के बिना चल पाएंगी? परवाह,चाहत हर रिश्ता चाहता है तो दोस्त क्यों नहीं? विश्वास, यकीन,भरोसा का मतलब सब सम्बन्धों
के लिए एक है तो मित्रता के लिए क्यों नहीं? फर्ज और क़द्र हर रिश्तें की ज़रूरत होती है तो हमारी दोस्ती इस सच्चाई से परे नहीं है। दोस्ती तो बनती ही प्यार की बोली से है तो कड़वी ज़बान क्यों दोस्ती में?

दोस्त और दोस्ती के छूटने और टूटने का कारण बहुत बार हमारे खुद के अंदर छिपा होता है। समय रहते अगर दोस्ती सम्भाल ली तो अच्छा है नहीं तो दोस्त को जिंदगी से दूर होते समय नहीं लगता। बहुत बार ये हो जाता है कि हम बातों ही बातों में अपने दोस्त का दिल दुखा देते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए। बातचीत में सत्य के साथ-साथ महत्व और सम्मान भी बनाएं रखें। दोस्त को सम्मान दें,बेवजह तानें नहीं। दोस्त की कभी भी पीठ पीछे बुराई न करें,क्योंकि शब्द भी हवा होते हैं इसका अहसास हो जाता है, पता चल जाता है।

दोस्त को रूढने पर मनाना भी सीखे। दिल दुखाने वाली बातें कभी भी न कहें। कई लोगों को लगता है कि अगर मित्रता है तो कुछ भी गलत और दिल दुखाने वाला कह दो,क्या ऐसा सोचना सही है? ऐसे लोगों को लगता है कि मित्र की बार-बार उपेक्षा करते रहो,कोई फर्क ही नहीं पड़ेगा।

दोस्त भी अभिवादन और हाल-चाल पूछना चाहते हैं तो ये शिष्टाचार जरूरी है मित्रता में भी। अगर दोस्त का कोई फोन आए तो इग्नोर न करें समय मिलते ही उत्तर दें। अगर दोस्त आपका ध्यान रखता है तो आप भी रखें।

दोस्ती भी महत्व चाहती है,कद्र चाहती है। रिश्तें बनाना इतनी बड़ी बात नहीं निभाना बड़ी बात है। जैसे पौधें धूप,हवा,पानी,खाद्य और पूरी देखभाल चाहते हैं वैसे ही दोस्ती भी।

दोस्ती करें तो निभाने सीखें। दोस्त बनाए तो मनाना सीखे। दोस्ती के नाते को इतने हल्के में न लें कि रिश्ता हवा में उड़ जाए। दोस्त को उतना ही महत्व दो जितना दूसरे रिश्तों को देते हैं। बल्कि कई बार दोस्ती इतनी काम आती है कि जितने दूसरे नहीं।

दोस्त की कद्र करें नहीं तो दोस्ती अपनी कद्र खो देगी। वक्त रहते दोस्ती संभाल लें नहीं तो दोस्ती खत्म होते देर नहीं लगती।

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित, मौलिक
द्वारका मोड़,द्वारका,नई दिल्ली-78

3 Likes · 1 Comment · 74 Views

You may also like these posts

4603.*पूर्णिका*
4603.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब लोग उन्हें मार नहीं पाते हैं
जब लोग उन्हें मार नहीं पाते हैं
Sonam Puneet Dubey
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन
Rahul Singh
प्रेम
प्रेम
Neha
आम आदमी की दास्ताँ
आम आदमी की दास्ताँ
Dr. Man Mohan Krishna
मेरा साया ही
मेरा साया ही
Atul "Krishn"
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
खुशी या ग़म हो नहीं जो तुम संग।
Devkinandan Saini
sp102 परम पिता ने स्वयं
sp102 परम पिता ने स्वयं
Manoj Shrivastava
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
“दीपावली की शुभकामना”
“दीपावली की शुभकामना”
DrLakshman Jha Parimal
कविता - शैतान है वो
कविता - शैतान है वो
Mahendra Narayan
मैंने एक चांद को देखा
मैंने एक चांद को देखा
नेताम आर सी
सच्ची कविता
सच्ची कविता
Rambali Mishra
पारिवारिक मूल्यों को ताख पर रखकर आप कैसे एक स्वस्थ्य समाज और
पारिवारिक मूल्यों को ताख पर रखकर आप कैसे एक स्वस्थ्य समाज और
Sanjay ' शून्य'
बाल कविता: चूहे की शादी
बाल कविता: चूहे की शादी
Rajesh Kumar Arjun
"मगर"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"ब्रम्हचारिणी माँ"*
Shashi kala vyas
*अंगूर (बाल कविता)*
*अंगूर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
बीज अंकुरित अवश्य होगा
बीज अंकुरित अवश्य होगा
VINOD CHAUHAN
सही को गलत से दूर रहना चाहिए
सही को गलत से दूर रहना चाहिए
Sarita Pandey
कैसे?
कैसे?
RAMESH Kumar
है हुस्न का सौदागर...
है हुस्न का सौदागर...
आकाश महेशपुरी
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
मुक्तक - यूं ही कोई किसी को बुलाता है क्या।
सत्य कुमार प्रेमी
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
अनिल कुमार निश्छल
"साधक के गुण"
Yogendra Chaturwedi
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
कीमतें भी चुकाकर देख ली मैंने इज़हार-ए-इश्क़ में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसकी कश्ती किसका किनारा
किसकी कश्ती किसका किनारा
डॉ० रोहित कौशिक
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
हर एक ईट से उम्मीद लगाई जाती है
डॉ. दीपक बवेजा
फूल
फूल
डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि'
Loading...