दोपहर के समय
दिन देखया न रात, कितके सुबेरा शाम,
याद रहया हरदम, यो दुपहरी का घाम,
यो दुपहरी का घाम,चाहवे घणा आराम,
मजूर माणस निभाते, भूले नमक हराम,
ढोर बैठ जुगाली करते देखो कर ध्यान,
इस माणस कै के होग्या कितना अज्ञान,
दिन देखया न रात, कितके सुबेरा शाम,
याद रहया हरदम, यो दुपहरी का घाम,
यो दुपहरी का घाम,चाहवे घणा आराम,
मजूर माणस निभाते, भूले नमक हराम,
ढोर बैठ जुगाली करते देखो कर ध्यान,
इस माणस कै के होग्या कितना अज्ञान,