देश भक्ति
देश भक्ति
देश भक्ति भावना अजर-अमर रहे सदा।
बाह्य शक्ति के विरुद्ध हर्ष से लड़े सदा।
देश प्रेम से हरा-भरा सदैव भाव हो।
सत्य-सत्व-भव्य तत्व का सदा प्रभाव हो।
तोड़ना न देश को महा विनाश मत करो।
तोड़-फोड़-राजनीति से सदा डरा करो।
गंदगी करो नहीं सफेद-स्वच्छ वृत्ति हो।
देश हित सुचिंतना सदा हृदय प्रवृत्ति हो।
देश जन स्वजन दिखें यही पवित्र कामना।
लूटते मनुष्य के विरुद्ध नित्य भावना।
भ्रष्ट आचरण मरोड़ देश को बचाइए।
देश के विकास पंथ को सदा सजाइए।
पार्थ बन स्वयं डटे रहो करो सुकर्म को।
याद रख विवेक मार्ग न्यायगत स्व -धर्म को।
आत्म भाव देश भाव दिव्य भाव मूल्य है।
रक्ष देश भक्ति भाव कृष्ण प्रेम तुल्य है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।