देश-प्रेम की बातें
देश-प्रेम की बातें
देश-प्रेम की बातें हमने, सुनी सुनाई हैं यारों।
नेक हृदय से पूछो कितनी, यहाँ निभाई हैं यारों।।
आकाश धरा ने बहुत दिया, फिर भी हँसती लाचारी।
छल भ्रम लालच झूठेपन की, लूट रही है बीमारी।।
देश-प्रेम का ज़ादू ऐसा, पत्थर में फूल खिला देता।
आँसू आहें कमजोरी को, स्वप्न हँसी से मिला देता।।
नए पंख दो अरमानों को, गगन सभी छू जाएंगे।
महान देश के महावासी, सच में तब कहलाएंगे।।
जाति धर्म क्षेत्र भुलाकर तुम, कर्म लिखो इतिहासों में।
देश-प्रेम की परिभाषा को, दर्ज़ करो अहसासों में।।
कभी अखंडित भारत को तुम, खंड-खंड मत होने दो।
भारत माँ का स्नेह पिया है, सपने इसे सलौने दो।।
सभी देश के सैनिक हैं हम, अपना फ़र्ज़ निभाएंगे।
सोच यही हितकारी समझें, रामराज्य तब लाएंगे।।
संग चलें सब ताल मिलाकर, प्रेम भरें मुस्क़ानों में।
सुख-समृद्धि यश आनंद मिले, एक रहें अनुमानों में।।
देश-प्रेम में जीवन हारा, फिर भी जीत तुम्हारी है।
तन हारा है प्रेम भावना, कभी न जग में हारी है।
एक मूल के अंश सभी हैं, अंत उसी में मिल जाना।
झूठा जग है झूठी माया, नेकी का बन दीवाना।।
आर.एस.”प्रीतम”
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