देश की गौरव हैं ये बेटियां!क्यों हैं आंदोलन पर आमदा!!
खेली हैं ये देश की खातिर,
और देश का मान बढाया भी,
ये नहीं सिर्फ, हरियाणे की छोरियां,
इन्हें देश ने अपनाया भी!
जिसने जब मैडल जीता,
तिरंगे को फहराया भी,
कैसे कह दें ये सिर्फ जाटों की छोरी,
पूरे देश को झूम के लहराया भी!
देश के मान सम्मान की खातिर,
अपना खून पसीना बहाया भी,
हार जीत से ऊपर उठकर,
सब कुछ दांव पर लगाया भी!!
अपनी अस्मिता को लेकर,
आई थी यह सडको पर ,
कर गये इन्हें नजर अंदाज,
अपने बाहु के बल पर!
था जो सिरमौर बना बैठा,
वह भक्षक का था भेस धरा,
जिन्हें मिली थी रहनुमाई इनकी,
उन्हें ना कोई फर्क पड़ा!
किससे करें शिकायत इनकी,
हर किसी से निराशा हाथ लगी,
न्याय की चौखट तक जाकर भी,
नहीं बंधी जब उम्मीद अभी!
नाउम्मीदी से तंग आकर,
अब सड़कों पर आ धमके,
ना रुकेंगे ना झुकेंगे,
चाहे अब मरना ही पडे,
ना थमेंगे, ना सहेंगे,
चीख चीख कर ये कहेंगे,
देश की खातिर जी रहे थे,
देश के सम्मुख आके मरेंगे!!
देश की यह बेटियां,
क्यों हैं आंदोलन पर आमदा ?
सोचें एक बार घ्यान लगा!!