देश अपना है भारत महान
धरती भी कहती है ऐसा, और गगन भी कहता है ऐसा।
कहती है बहती नदियां भी, गाते हैं पक्षी भी ऐसा।।
ऐसा कहता है सारा जहान, देश अपना है भारत महान।
हम भी माने इसको अपनी शान, देश अपना है भारत महान।।
धरती भी कहती है ऐसा———————।।
कितने इस पर हुए आक्रमण, करने को इसको बर्बाद।
सहकर इतने जुल्मों- सितम यह, आज भी है आबाद।।
जंग हुई सभ्यताओं की, ना खत्म इसकी तहजीब हुई।
कहती है गीता भी ऐसा, कुरान की आयत भी ऐसा।
ऐसा कहता है हर ग्रन्थ, देश अपना है भारत महान।।
हम भी माने इसको अपनी शान, देश अपना है भारत महान।।
धरती भी कहती है ऐसा——————–।।
होती है पूजा सबकी यहाँ, जल ,थल, वायु ,हर जीव की।
मानते हैं ईश्वर को कण कण में, जलती है ज्योति यहाँ प्रीत की।।
अहिंसा अत्र परमोधर्मः, मंत्र सर्वे भवन्तु सुखिनः।
पत्थर भी कहते हैं ऐसा, कहती है पवन भी ऐसा।
दरख़्त, चन्द्र, रवि भी कहते, देश अपना है भारत महान।।
हम भी माने इसको अपनी शान, देश अपना है भारत महान।।
धरती भी कहती है ऐसा——————–।।
दी है शिक्षा सभी ने यहाँ, राम,रहीम, नानक, कृष्ण ने।
हम जीये जीने दें सबको, सबको माना है अपना हमने।।
हिन्दू ,मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, यहाँ सभी है आपस में भाई।
अल्लाह, ईश्वर, वाहे गुरु, ईसा मसीह भी कहते हैं ऐसा।
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा भी बोले, देश अपना है भारत महान।।
हम भी माने इसको अपनी शान, देश अपना है भारत महान।।
धरती भी कहती है ऐसा———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)