देख क्या खूब मेरी चाहत है
सच्च या झूठ ये इबादत है
कह रहा तू जिसे मुहब्बत है
फैसला कौन अब करे मेरा
हर जगह तेरी ही हुकूमत है
रौनके हुस्न कह रही मुझसे
ये असर मेरा मेरी चाहत है
ये नज़ारा कहीं न होगा फिर
देख क्या खूब मेरी चाहत है
भूख से तड़पते रहे बच्चे
औ हुकूमत ने दी नसीहत है
खाक भी है नही बचा घर मे
जानता ही नही हकीकत है
वो समझता नही मेरे मालिक
जो मिला है वही तो किस्मत है
– ‘अश्क़’