दुख के सागर में तुम
अरे
क्या हुआ भई
इतनी मायूसी चेहरे पर क्यों
छाई हुई है
तुम तो कुछ बता पाने की स्थिति
में भी नहीं हो
दर्द ही दर्द छलक रहा है
तुम्हारी बंद आंखों से
लगता है आंसुओं का
एक उफनता दरिया तुमने
अपने अंदर ही अंदर पी लिया है
और दुख के सागर में तुम
गिरने को चली हो
कोई बात नहीं
सम्भालो खुद को
माना यह विपदा है गहरी
मन को झकझोरने वाली
किसी प्रत्यक्षदर्शी को भी
विचलित करने वाली लेकिन
संयम इस कठिन घड़ी में
रख लिया तो
वह समय अतिशीघ्र आयेगा
जब असीम गहरी पीड़ा के काले बादल
तुम्हारे जीवन के आकाश से
छटेंगे और तुम पहले सी ही
आंखें खोलकर
सिर उठाकर
एक सूरज के प्रकाश सी ही
चारों दिशाओं में फैलोगी
और मुस्कुराओगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001