दुःख है साथी
दुःख- दुःख का साथी होता,
दुःख गैरों के दुःख से राजी होता,
दुःख किसी में भेद न करता,
दुःख तो दुनिया का सच्चा साथी,
दुःख का होता कोई न आदि,
दुःख तो मन का,
दुःख होता है तन का,
दुःख बहुरंगी जीवन संगी,
दुःख का जन्म देता कुकर्म,
हिंसा से होता है दुःख,
राग से दुःख है,
प्रेम-वियोग से जुड़ा भी दुःख है,
लोभ में दुःख है,
शोक में दुःख है,
किया अफसोस वहांँ भी दुःख है,
अज्ञानता में दुःख-ही-दुःख है।
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**बुद्ध प्रकाश, मौदहा हमीरपुर ।