दीप पर्व के पूर्व
कुण्ड़लियां
1
लक्ष्मी पूजन नाम से, अपव्यय हि नुकसान ।
सोच समझकर खर्च हो ,कहता हर गुणवान।।
कहता हर गुणवान, फिजूल खर्च से सब बचना।
ठगी प्रलोभन आज, निर्णय स्वयं को करना ।
मंथन भाव विचार, सुंदर लगती कुलक्ष्मी।
सावधान हो आप, सदबुद्धि देती लक्ष्मी ।।
2
लक्ष्मी पूजन पूर्व ही , धनतेरस त्योहार ।
धन्वंतरि भगवान की, शिक्षा हो स्वीकार।
शिक्षा हो स्वीकार, घरों घर बने मिठाई ।
रखें स्वयं परहेज, मीठा जहर यह भाई।
कह सुमित्र कविराज,दुष्ट चाहते कुलक्ष्मी।
सेहत पर हो ध्यान, कहे धनतेरस लक्ष्मी ।।
3
पूजित रूप चतुर्दशी, काली जन्मी आज ।
देह सौंदर्य के लिए, झूठे सारे साज ।।
झूठे सारे साज ,गुणों की समझो गरिमा ।
गुणी होय नर नार, तभी पाते हैं गरिमा ।
जीवन रहे निरोग,अमृत रस वाणी गूजित।
रूप अर्थ का मान,पर्व चतुर्दशी पूजित।
राजेश कौरव सुमित्र