दीप जलाये (गीत)
दीप जलाये (गीत)
घर आंगन दीपक से जगमग,
मन मंदिर से अज्ञान भगाये।
बुद्धि विवेक उल्लास भर के,
आओ घर घर दीप जलाये।
लक्ष्मी पूजन हो घर घर में,
धन दौलत भी खूब कमाये।
सुख सौभाग्य निरोगी काया,
आओ घर घर दीप जलाये।
धन लक्ष्मी की कृपा मिले पर,
धन प्रभाव में कभी न आये।
धन पर स्वयं प्रभाव बनाकर,
आओ घर घर दीप जलाये।
मिट्टी के दीपक हैं प्रतीक,
जीवन्त ज्योति सा बन जाये।
आत्मज्योति संकल्प जगाने,
आओ घर घर दीप जलाये।।
स्वाध्याय करें नित नूतन,
सद् ग्रंथों से शिक्षा पाये,
ज्ञान दीप करें स्थापित,
आओ घर घर दीप जलाये।।
दीपक से प्रेरित होकर,
अज्ञान अंधेरा दूर भगाये।।
सदाचार की ज्योति जलाने,
आओ घर घर दीप जलाये।।
दु:श् प्रवृतियों को त्यागे,
सद् प्रवृतियों को अपनाये।
आशीर्वाद गुरु से पाकर,
आओ घर घर दीप जलाये।
(राजेश कुमार कौरव सुमित्र)