दीप आशा के जलें
दूर हों मन के अंधेरे,दीप आशा के जलें
ज्ञान के प्रकाश में, प्रेम के पथ पर चलें
सर्वत्र सुख का वास हो, कोई नहीं उदास हो
समरसता की उजास हो, सहिष्णु सभी समाज हो
राष्ट्र दिनों दिन बढ़े, आर्थिक विकास हो
राष्ट्र लक्ष्मी बढ़े, सभी का ये प़यास हो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी