दीपावली
चलो हम दीया सजाये,दीवाली आई दीवाली आई।
रोशनी दीये की फैलाये, दीवाली आई दीवाली आई ।।
बदली है सूरत यहां अब इस जमाने,
खिलते नहीं चेहरे, बन्द क्यों मुस्काने,
अब दीये की नजरें उजाले लुटाने आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।।
हवा से टकराये यह छोटा सा दीपक,
सूरज से भीड़ जाये यह छोटा सा दीपक,
अब हाथ उसका दीवारे मिलाने आई ।
दीवाली आई दीवाली आई।
दीवाली आई दीवाली आई ।।
साथी भी जब ढूंढने निकले सफ़र में ,
तन्हा न रहे अब इस जीवन सफर में ,
अब दीया वो लेकर तिमिर हटाने आई ।
दीवाली आई दीवाली आई।
दीवाली आई दीवाली आई ।।
हौसला रखना सीखा रहा है यह सबको,
टिकना कैसे मुश्किल मुसीबत में हमको,
कीमत उस दीये की याद दिलाने आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।।
तारो से भर रहा चमकता आसमाँ भी ,
चमक रही धरती अब आसमान से भी,
देखो जमीं पर अब दीये से दीवानी आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।।
‘लहरी’ जलाओ अब नेह भरा दीपक ,
खुशी की हो बाती, सत्कार का हो दीपक,
दीवाली यहाँ दीये से दीये सजाने आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।
दीवाली आई दीवाली आई ।।
कवि- डॉ शिव लहरी