दीपावली की दीपमाला
दिवाली पर्व है जीवन को रोशनी से जगमगाने का,
पर्व, जीवन के अंधेरों को रोशनी से मिटाने का।
दिवाली प्रतीक है जीवन में प्रकाश के रंग भरने का,
जीवन में ख़ुशी, उल्लास और उमंग भरने का।
फिर दीप जलाने का ‘रेकार्ड बनाना’ लक्ष्य क्यों हो गया?
आज रोशनी के त्योहार का मूलभाव कहां खो गया?
वक्त के साथ शुरू हो गए हैं ये कैसे सिलसिले?
कि लाखों चूल्हे बुझे हैं पर हैं लाखों दीप जले।
लगता है वेलफ़ेयर स्टेट का ध्येय अब ठीक नहीं रहा,
रोशनी का त्योहार जीवन रोशन करने का प्रतीक नहीं रहा।
जनहित की सरकार है तो संकल्प यह उठना होगा,
लाखों दीपों से पहले बुझे हुए चूल्हों को जलाना होगा।
भूखों के चूल्हे जला कर जीवन रोशन करने में हो विश्वास,
ना कि हो लाखों दिए जला रेकार्ड बनाने का प्रयास।
खजान सिंह नैन