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27 Oct 2022 · 3 min read

*दीपावली का चंदा (कहानी)*

दीपावली का चंदा (कहानी)
_________________________
बिजली की सजावट के जो दो-तीन ठेकेदार कस्बे में काम करते थे, उनके पास कई चक्कर बाजार के लोगों ने लगा लिया। लेकिन सब को बैरंग वापस लौटना पड़ा । बिजली-ठेकेदारों ने यही जवाब दिया कि हमारे पास तो बाजार की सजावट का कोई ठेका इस बार नहीं आया । बाजार के प्रतिष्ठित दुकानदारों में अब हलचल होने लगी और दिमाग इस दिशा में दौड़ने लगा कि कहीं कस्बे से बाहर के किसी बिजली ठेकेदार को तो इस बार कमेटी ने सजावट का ठेका नहीं दे दिया। लेकिन किसी की हिम्मत यह पूछने की नहीं हुई कि बिजली की सजावट का ठेका कमेटी ने किसको दिया है ? कारण यह था कि कोई कमेटी वालों से बुराई मोल नहीं लेना चाहता था । लेकिन जब छोटी दिवाली का दिन भी आ गया और सजावट नहीं हुई तो बाजार के लोगों का सब्र का बांध टूटने लगा ।
आखिर जैसे-तैसे छोटी दीपावली बीती । अगले दिन जब दीपावली का समय आ गया और बाजार में बिजली की सजावट के नाम पर कुछ नजर नहीं आया, तो चार-छह दुकानदारों ने कमेटी वालों से जाकर पूछ ही लिया-” क्यों भाई साहब, जो चंदा आपने बिजली की सजावट के नाम पर लिया था उसका क्या उपयोग किया ? सजावट तो कहीं नजर नहीं आ रही ।”
कमेटी के लोग एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे । अंत में कमेटी के एक सदस्य ने आगंतुक दुकानदारों से कहा “आपको इस सवाल का जवाब भैया दूज के अगले दिन मिल जाएगा ।”
आगंतुक दुकानदारों की समझ में तो कुछ नहीं आया लेकिन उन्होंने बहस करना उचित नहीं समझा । भैया दूज का इंतजार हुआ । कस्बे के बाकी बाजारों में बिजली की सजावट का जाल बुना हुआ था, जबकि उनकी बाजार की जगह पर रोशनी नदारद थी । दुकानदारों ने अपने खर्चे से जो थोड़ी-बहुत सजावट अपनी दुकानों की कर रखी थी, वही दीपावली की शोभा बढ़ा रही थी । कस्बे के बाकी बाजारों में जहॉं शानदार रोशनी की गई थी, वहीं संबंधित बाजार में लगभग अंधेरा था ।
भैया दूज तक यही स्थिति रही । कस्बे के बाकी बाजार खूब जगमगाते रहे, लेकिन भैया दूज के अगले दिन ही स्थिति में परिवर्तन आ गया । संबंधित बाजार के दुकानदार जब अपनी दुकान खोलने के लिए बाजार में आए तो देखा कि बाजार में स्थान स्थान पर सोलर-लाइटें लगाई जा रही थीं। सब आश्चर्यचकित रह गए । सोचने लगे, यह तो सरकार की तरफ से बहुत बड़ा कार्य हो रहा है । लेकिन फिर मालूम करने पर पता चला कि कमेटी वालों ने इस कार्य के लिए ठेका दिया है। अब सबकी समझ में आ गया कि दिवाली के चंदे का दीपावली के अवसर पर बाजार की सजावट में खर्च न करने का रहस्य क्या था !
शाम ढलते ही संबंधित बाजार में लगी हुई सोलर-लाइटें चमकने लगी और बाजार रोशनी से नहा उठा । दूसरी तरफ जिन बाजारों में दीपावली के अवसर पर पॉंच दिन तक जगमगाहट दिख रही थी, वहॉं अब अंधेरा पसरा पड़ा था । बाजार के सभी दुकानदारों ने कमेटी वालों को धन्यवाद दिया और कहा कि आपने जो दीपावली इस साल मनाई है, वह पूरे साल मनती रहेगी।
—————————————-
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
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