*दिव्य आत्मा*
दिव्य आत्मा
श्री नीलकंठ से ब्याही वधू बन श्रीमती (केसर)सी महक महकाई।
उपाध्याय परिवार जनों संग घुल मिल,
घर आंगन में प्रेम सुधा रस बरसाई।
जीवन सुखमय धन्य भाग चार पुत्रों की,
राम (सुरेश) लखन (कैलाश) भरत (राजेश),
शत्रुघ्न (दिलीप) कौशल्या मां (केसर) कहलाई।
नवीन कुसुम सी कन्या रत्न गौर वर्ण सी,
दो पुत्री (सरला) सुघड़ (शशि) शीतल सी,
लाडली बेटियां घर अंगना आई।
सुन्दर सुशील बेटियों के दामाद ( श्रीमती शशि दीक्षित & श्री संतोष दीक्षित जी ) छोटी बेटी (श्रीमती सरला दुबे & श्री रमेश प्रसाद दुबे जी)
के सेवा भाव अत्यंत सौभाग्य शाली सुखदाई।
छह भाईयों की प्यारी सी लाडली बहना,
श्री जगदीश प्रसाद जी,श्री भरत लाल जी,श्री बलदाऊ प्रसाद जी,श्री गिरधारी प्रसादजी,श्री शत्रुध्न लाल जी, श्री राजेंद्र प्रसाद जी,
बड़ी दीदी (रेशम ) सी सुहानी सुखद लुभावनी,
सदा जिस पे छोटी बहन प्रेम भाव जताई।
रीति रिवाजों रिश्ते नातों को सहेज कर,
सुख दुख सभी परिवार जनो को साथ ले, अपनी सफल भूमिका खूब निभाई।
सबकी हितैषी शुभ चिंतक बन लाड दुलार पुचकार कर,
सौभाग्य शाली सर्वगुण सम्पन्न मेरी क्यूटी पाई प्यारी सी नानी जी कहलाई।
सतयुग जैसा व्यवहार आध्यात्मिक शक्ति से,
ईश्वर चिंतन पूजा पाठ भक्ति में समय बिताई।
सरल स्वभाव परिवार संग घुल मिल जाती,
मनभावन रुचि स्वादिष्ट व्यंजन बना खिलाई।
अंत समय पर राम नाम सुखदाई साथ लेके,
सेवा भाव से मुक्ति पा बैकुंठ धाम गति पाई।
ईश्वर चिंतन पूजा पाठ भक्ति ही सुख मय,
जीवन में कोई किसी का नहीं माया मोह जाल,
कुछ भी नहीं रहता ,जीवन में हर क्षण अच्छे कर्म करने की सीख दे गई।
एक दूसरे के साथ प्रेम भाव से रहना ,
मिलजुलकर काम करना,
राग द्वेष की भाव ना रखना ,
हंसते हुए रिश्ते नातों को निभाना ,
बच्चों को अच्छे संस्कार है देना,
व्यर्थ कभी न समय गंवाना ,
परिवार जनों संग घुल मिल जाना।
बड़े बुजुर्गो की दुआएं लेते जाना।
शुभ आशीर्वाद आशीष दुआओं को बटोरना।
बड़े बुजुर्गो की सेवा करना जी जान से करना।
बड़े बुजुर्गो की आज्ञा मानना ,छोटों का लिहाज है रखना।
दिव्य आत्मा की अलौकिक स्वरूप शक्ति हमेशा बरसेगी
शशिकला व्यास शिल्पी✍️🌹🙏
🌹सादर प्रणाम करते हुए 🙏
श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
ईश्वर आपको अपने चरणों में स्थान दें।