Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Oct 2022 · 1 min read

दिवाली पर एक गरीब की इच्छा

बनाकर दीये मिट्टी के,जरा सी आस पाली है।
मेरी मेहनत को खरीदो,मेरे घर भी दिवाली है।।

करता हूं मेहनत मै ,मुझे उसी का फल मिल जाए।
कुछ ऐसा भी करो,मेरे घर में भी चूल्हा जल जाए।।

बांटते रहते हो मिठाई,अपने ही तुम रिश्तेदारों में।
कुछ मिठाई उनकी बांटो,जो सोए है अंधियारों में।।

खरीद कर विदेशी चीजे,देश को चौपट कर दिया।
अपना देश खाली करके,विदेशो में ही भर दिया।।

जला रहे हैं दीए सब घर में,मेरे घर भी दीए जल जाए।
मेरा सामान भी खरीद लो,मेरी भी दिवाली मन जाए।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 336 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जीवन का मुस्कान
जीवन का मुस्कान
Awadhesh Kumar Singh
वाणी से उबल रहा पाणि
वाणी से उबल रहा पाणि
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नर को न कभी कार्य बिना
नर को न कभी कार्य बिना
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
चांद छुपा बादल में
चांद छुपा बादल में
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
हमने तो उड़ान भर ली सूरज को पाने की,
Vishal babu (vishu)
अगर कोई आपको गलत समझ कर
अगर कोई आपको गलत समझ कर
ruby kumari
!! एक चिरईया‌ !!
!! एक चिरईया‌ !!
Chunnu Lal Gupta
शृंगार
शृंगार
Kamal Deependra Singh
तुम होते हो नाराज़ तो,अब यह नहीं करेंगे
तुम होते हो नाराज़ तो,अब यह नहीं करेंगे
gurudeenverma198
*कैसे  बताएँ  कैसे जताएँ*
*कैसे बताएँ कैसे जताएँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दिव्य दृष्टि बाधित
दिव्य दृष्टि बाधित
Neeraj Agarwal
"अंगूर"
Dr. Kishan tandon kranti
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
****उज्जवल रवि****
****उज्जवल रवि****
Kavita Chouhan
भारत माता
भारत माता
Seema gupta,Alwar
काव्य में अलौकिकत्व
काव्य में अलौकिकत्व
कवि रमेशराज
चुनिंदा अशआर
चुनिंदा अशआर
Dr fauzia Naseem shad
महाराष्ट्र की राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति
Anand Kumar
2524.पूर्णिका
2524.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"विचित्रे खलु संसारे नास्ति किञ्चिन्निरर्थकम् ।
Mukul Koushik
जिंदगी
जिंदगी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
Shweta Soni
माँ भारती वंदन
माँ भारती वंदन
Kanchan Khanna
आफ़त
आफ़त
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
दिल  धड़कने लगा जब तुम्हारे लिए।
दिल धड़कने लगा जब तुम्हारे लिए।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
कितनी भी हो खत्म हो
कितनी भी हो खत्म हो
Taj Mohammad
बिहार से एक महत्वपूर्ण दलित आत्मकथा का प्रकाशन / MUSAFIR BAITHA
बिहार से एक महत्वपूर्ण दलित आत्मकथा का प्रकाशन / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*समझो बैंक का खाता (मुक्तक)*
*समझो बैंक का खाता (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Loading...