दिल
धड़कने धड़क ने से
बनती नहीं है दिल,
दिल को पूर्ण करती है
जज्बातों की गठरी ,
जैसे आकाश की शून्यता
पुरी करती है
सूरज, चाँद, सितारें और
बादलो की गठरी ।
धड़कने धड़क ने से
बनती नहीं है दिल,
दिल को पूर्ण करती है
जज्बातों की गठरी ,
जैसे आकाश की शून्यता
पुरी करती है
सूरज, चाँद, सितारें और
बादलो की गठरी ।