** दिल से हुए हम हलके हैँ **
** दिल से हुए हम हलके हैँ **
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जब से नैनों से आँसू झलके हैँ,
दिल से हुए हम तो हलके हैँ।
गम से भारी है मन लगता नहीं,
दिखती भीगी-भीगी पलकें है।
रंज के बादल बनते झड़ते रहे,
मोती बनकर धरा पर टपके है।
मौसम ए मिजाज़ बदला सा,
माला के बिखरे हुए मनकें हैँ।
नभ के पंछी पिंजरे में कैदी है,
दम गले मे आ कर अटके हैँ।
मन की बातें मन में मानसीरत,
मन ही मन में ख्वाब चहकें हैँ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)