दिल लगाया भी कहीं तो हुआ क्या
किसी को मोहब्बत करके मिला क्या,
दिल लगाया भी कहीं तो हुआ क्या।
हमने की वफा शिद्दत से, अगर मिली बेवफाई तो किसी से गिला क्या।
इतने सितम हैं प्यार की राहों में,
इससे बड़ी और है सज़ा क्या।
लगाया था एक पौधा हमने अपनी चाहत का, आओ देखें जरा कि उसमें कोई गुल खिला क्या।
सूना है दिल का गुलशन मेरा, बिना साजन के ये बहारें और फिज़ा क्या।