दिल लगाए बैठे हैं
कोई तुम्हारी गली भी आके फूल फेके
हम तो जाना खार से दिल लगाए बैठें हैं
अजि महकूमी का तो वाइज़ नहीं दिल मेरा
सब्र ये कि फकीरी से हम दिल लगाए बैठे हैं !!
महकूमी = गुलामी, वाइज़ = नसीहत देनेवाला
~ पुर्दिल सिद्धार्थ
कोई तुम्हारी गली भी आके फूल फेके
हम तो जाना खार से दिल लगाए बैठें हैं
अजि महकूमी का तो वाइज़ नहीं दिल मेरा
सब्र ये कि फकीरी से हम दिल लगाए बैठे हैं !!
महकूमी = गुलामी, वाइज़ = नसीहत देनेवाला
~ पुर्दिल सिद्धार्थ