दिल में बसता है गांव
दिल में बसता है गांव
गांव छोड़े हो गए
बीस वर्ष से अधिक
वैसे तो
गांव से आने के बाद
भरपूर स्नेह दिया
टोहाना शहर ने
नहीं होने दिया
प्रवास का अहसास
दिया अपनापन
दिया आश्रय
दी रोजी-रोटी
गाँववासियों को
लगता है
मैं छोड़ गया
पूरी तरह
लेकिन कहां छोड़ पाया
अपनी जन्मभूमी को
गवाह हैं मेरी कविताएं
दिल में बसता है गांव
-विनोद सिल्ला©