दिल में छुपी है जो ख्वाहिशें दिल में छुपी है जो ख्वाहिशें कैसे बयां करूं तुझसे, क्योंंकि अब हक जो नहीं रहा मेरा तुझ पर..!! – कृष्ण सिंह