Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Mar 2023 · 1 min read

“दिल में कांटा सा इक गढ़ा होता।

“दिल में कांटा सा इक गढ़ा होता।
उसने मुझ को अगर पढ़ा होता।।”

👌प्रणय प्रभात👌

1 Like · 371 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हर तीखे मोड़ पर मन में एक सुगबुगाहट सी होती है। न जाने क्यों
हर तीखे मोड़ पर मन में एक सुगबुगाहट सी होती है। न जाने क्यों
Guru Mishra
जी भी लिया करो
जी भी लिया करो
Dr fauzia Naseem shad
सच को खोना नहीं  ,
सच को खोना नहीं ,
Dr.sima
3386⚘ *पूर्णिका* ⚘
3386⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
देखेगा
देखेगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*साप्ताहिक अखबार (कुंडलिया)*
*साप्ताहिक अखबार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुछ राखो नाथ भंडारी
कुछ राखो नाथ भंडारी
C S Santoshi
जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
जख्म वह तो भर भी जाएंगे जो बाहर से दिखते हैं
Ashwini sharma
Haiku
Haiku
Otteri Selvakumar
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
यादें
यादें
Dinesh Kumar Gangwar
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
Awadhesh Kumar Singh
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
Phool gufran
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
रफ्ता रफ्ता हमने जीने की तलब हासिल की
कवि दीपक बवेजा
पिता
पिता
पूर्वार्थ
"डर बैलट पेपर का"
Khajan Singh Nain
हमारे गीत ये सुनकर
हमारे गीत ये सुनकर
gurudeenverma198
मन   पायेगा   कब   विश्रांति।
मन पायेगा कब विश्रांति।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
डरना नही आगे बढ़ना_
डरना नही आगे बढ़ना_
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
"बदल रही है औरत"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी गोद में सो जाओ
मेरी गोद में सो जाओ
Buddha Prakash
बस एक प्रहार कटु वचन का - मन बर्फ हो जाए
बस एक प्रहार कटु वचन का - मन बर्फ हो जाए
Atul "Krishn"
The Tapestry of Humanity
The Tapestry of Humanity
Shyam Sundar Subramanian
मैं एक राह चुनती हूँ ,
मैं एक राह चुनती हूँ ,
Manisha Wandhare
..
..
*प्रणय*
गीत
गीत
Jai Prakash Srivastav
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
Sudhir srivastava
इस घर से ....
इस घर से ....
sushil sarna
गुजर रही थी उसके होठों से मुस्कुराहटें,
गुजर रही थी उसके होठों से मुस्कुराहटें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* हिन्दी को ही *
* हिन्दी को ही *
surenderpal vaidya
Loading...