दिल दुआओं से भरा पाया है
दर्दे-उल्फ़त का सिला पाया है
दिल दुआओं से भरा पाया है
चोट जो गहरी हुई है इश्क़ में
खूब आशिक़ ने मज़ा पाया है
नफ़रतों की बात कहके किसने
फिर मुहब्बत का सिला पाया है
इश्क़ के मैदान में दिल तो क्या
हाँ कलेजा भी छिला पाया है
शा’इरी में जी के तेरी नफ़रत
खूब मैंने भी मज़ा पाया है