दिल थाम के
लो सुनो इक बात तुम दिल थाम के
सब हैं आशिक़ ये तुम्हारे नाम के
कौन बोलेगा मुझे कुछ भी यहाँ
ले रहा हूँ आज बोसे जाम के
हर दफ़ा हमको सजाएँ ही मिलीं
काम तो हमने किये इनआम के
आज कह दूँ यार दिल की आरज़ू
आशिक़ों के बीच में दिल थाम के
शाइरी की शान थे ‘मिर्ज़ा असद’
आज तक चर्चे हैं उनके नाम के