” दिल के अमीर “
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
=============
आज करीब से
उनको और उनके
सौजन्यता को देखा !
हमारी भाषाएँ
हमारी भेषभूषा
की भिन्याताओं को
नजदीक से देखा !!
हम उनको ना
समझते वो हमको
ना समझ पाते !
ये तो आखों की
भाषा ना होती
हम करीब ना आते !!
निर्जन पहाडीयों में
अपना आशियाना
बना रखा है !
सुख सुविधाओं से बंचित
रहकर आशाओं का
दीपक जला रखा है !!
ऊँची -ऊँची पहाडीयों
में दिन तो किसी
तरह कट जाते हैं !
पर अँधेरी रातों में
हम डर-डर के
चिहुक जाते हैं !!
ना विजली है ,ना पानी
ना राशन है ना तेल
का ठिकाना है !
स्वास्थ सेवा ,शिक्षा
के प्रचार का सिर्फ बहाना है !!
“अच्छे दिन “भले यहाँ
आये तो नहीं क्या होगा ?
इनके मुस्कानों और
आतिथ्य पर सब फ़िदा होगा !!
==================
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत