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17 Sep 2017 · 1 min read

दिल का वीरां नगर

जो तुम तीरगी रहगुज़र देख लेना
जला मैं मिलूँगा ठहर देख लेना

कभी चाहा था तुमने तो जाते जाते
पलट कर ज़रा इक नज़र देख लेना

क़दम दर क़दम देखना जो हो पत्थर
तो आ कर शहर में बशर देख लेना

तू क्या है मेरा देखना ग़र हो मेरी
तू आँखों में खोने का डर देख लेना

मुहब्बत का हासिल न ढूँढो शहर भर
मेरे दिल का वीरां नगर देख लेना

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