दिल का वीरां नगर
जो तुम तीरगी रहगुज़र देख लेना
जला मैं मिलूँगा ठहर देख लेना
कभी चाहा था तुमने तो जाते जाते
पलट कर ज़रा इक नज़र देख लेना
क़दम दर क़दम देखना जो हो पत्थर
तो आ कर शहर में बशर देख लेना
तू क्या है मेरा देखना ग़र हो मेरी
तू आँखों में खोने का डर देख लेना
मुहब्बत का हासिल न ढूँढो शहर भर
मेरे दिल का वीरां नगर देख लेना