दिल करता है तितली बनूं
दिल करता है ,तितली बनूं
चमकते नीले पंख हो मेरे,
उड़ती फिरू मैं चार चुफेरे।
एक फूल से ,दूसरे फूल तक
धड़के दिल मेरा धक धक।
छुये जो कोई मुझे अचानक
ऊंगली रंगों से हो चकाचक।
हाथ किसी के कभी न आऊं
उड़ती रहूं जब पंख फैलाऊं।
रोशन रहें मेरे दिन रात
सुखद हो मेरी हर प्रभात।
सुरिंदर कौर