** दिल आख़िर दिल जो ठहरा **
दिल आखिर दिल जो ठहरा
भावनाओ पर किसका पहरा
उम्र हसीनाओं की पूछना मत
घाव करता हृदय पर गहरा।।
जितना जी चाहे प्यार करलो मुझसे
फिर तन्हाई में सिर्फ याद रह जायेगी।।
कलम चलती रहे रुक ना जाये कहीं
जिंदगी यूं चलती रहे चूक-ना हो कहीं।।
आज कहा दो शिकवे-शिकायत सभी
वरना
शिकायत-ए-मुहब्बत न करना कभी ।।
मिल के अश्कों को हम बहालें यूं
फिर तन्हाई में रोना ना पड़े हमको ।।
?मधुप बैरागी