” दिलेर राही “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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सुनसान बिराने रस्तों पर,
हम सीना ताने चलते रहें ,
थी हमें ललक उस मंजिल की,
हम पाने के लिए चलते रहें !!
सुनसान बिराने ……………..!!
पथ धूमिल होने लगा कभी ,
अंधियारों ने नहीं रोक सका ,
तूफां जो मिले मुझे राहों में ,
उसने भी रस्ता मोड़ लिया !
हम धून के पक्के मतवाले ,
राहों को चीरते चलते रहें ,
सूनसान बिराने रस्तों पर,
हम सीना ताने चलते रहें !!
थी हमें ललक उस मंजिल की
हम पाने के लिए चलते रहें !!
सुनसान बिराने ……………..!!
पांवों में छालें पड़ने लगे ,
अंग मेरे लड़खड़ाने लगे ,
फिर भी मेरी इक्छाशक्ति ,
मंजिल तक पहुँचाने लगे !!
प्रण से पुरे हों सब सपने ,
संकट से जब लड़ते रहें ,
हम धून के पक्के मतवाले ,
राहों को चीरते चलते रहें ,
सूनसान बिराने रस्तों पर ,
हम सीना ताने चलते रहें !!
थी हमें ललक उस मंजिल की
हम पाने के लिए चलते रहे !!
सुनसान बिराने ……………..!!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड