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6 Aug 2024 · 1 min read

दिलबरी

Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरूण अतृप्त

मेरी चाहत है कि आप मुझे रोज़ मिलें।
मिल कर अपनी अदाओं से घायल भी करें ।

मैं कौन हमेशा के लिए साथ रहूंगा आपके।
ये बात और है कि है मेरे दिल की उम्मीद यहीं।

दूर से डोर आपने न कैसे बांध ली मुझसे गरीब से।
ख्वाब था सुबह का आपसा कोई खैरख्वाह मिले।

नसीब को कोसूं या सराहुं बहुत गफलत है दिल में ।
एक अबोध बालक का दिल कोई पत्थर तो नहीं ।

मैं नहीं चाहता कि आपको नाराज करूं सच में।
मैं चाहता क्या हूं ये जानना आपकी फितरत हीं नहीं ।

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