दिलबरी
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
मेरी चाहत है कि आप मुझे रोज़ मिलें।
मिल कर अपनी अदाओं से घायल भी करें ।
मैं कौन हमेशा के लिए साथ रहूंगा आपके।
ये बात और है कि है मेरे दिल की उम्मीद यहीं।
दूर से डोर आपने न कैसे बांध ली मुझसे गरीब से।
ख्वाब था सुबह का आपसा कोई खैरख्वाह मिले।
नसीब को कोसूं या सराहुं बहुत गफलत है दिल में ।
एक अबोध बालक का दिल कोई पत्थर तो नहीं ।
मैं नहीं चाहता कि आपको नाराज करूं सच में।
मैं चाहता क्या हूं ये जानना आपकी फितरत हीं नहीं ।