दिनांक:24-6-2023
दिनांक:24-6-2023
विषय :आलिंगन
शीर्षक:आलिंगन उत्साह से!
विद्या:स्वतंत्र
खुशी अब होती नहीं
पर आंख रोती नहीं।
न पाया कभी कुछ मैंने
इसलिए खोती नहीं।
वीराना,जीवन गुलशन
खुशी-बीज बोती नहीं।
न जागते दिन मेरे अब
और रातें सोती नहीं।
जी तो रही हूँ मैं
पर जी नहीं रही हूँ।
पी रही हूँ गमों को
खुशी पी नहीं रही हूँ मैं।
मिलते रोज ज़ख्म नए
और उन्हें सी रही हूँ मैं।
आलिंगन क्या जीवन का
न जाना आज तक।
आलिंगन भरे जीवन में
रहा ये राज आज तक।
खामोशी चुप ही रहती
पर न बोले साज तक।
जीवन का आलिंगन
जब उत्साह से हो।
तब खुशी का आलिंगन
जीने की चाह से हो।
जीवन का नाता फिर
हर सुख राह से हो।
टूटे नाता गमों से जब
खाली मन आह से हो।
जले न अग्नि से भी जब
शीतलता दाह से हो।
जीना एक आलिंगन जब
आलिंगन उत्साह से हो।
जीवन बने उत्सव
जब आलिंगन होगा।
बिना उत्सव न जीवन
न कोई आलिंगन होगा।
होगा पूर्ण जब आलिंगन
उत्साह से होगा!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
द्वारका,नई दिल्ली-78
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