दादी…।
मेरी प्रिय बाई,
जब भी परिवार में खिलखिलाने की आवाज आए,
आप याद आओगी,
हिम्मत जुटाकर इतना बड़ा परिवार बांधने में
आप याद आओगी।
चार पीढ़ियों की तरह खुद को ढालना होगा,
जब परिवार की हर मुश्किल संभालना होगा,
चार दीवारों की घर को जब बड़ा महल बनाना होगा,
आपकी सीख, आपका प्यार याद आएगा।
हर त्योहार की तैयारी, हर रसोई की महक,
जब आपकी सजी हुई थाली नज़र आएगी,
दूर बैठकर भी आपका आशीर्वाद महसूस होगा,
तब आपकी ममता बहुत याद आएगी।
जीवन के हर मोड़ पर आपकी दुआओं का हाथ,
हर मुश्किल राह में आपके शब्दों की सौगात,
परिवार की हर शादी में आपका ठुमका और गीतों की बहार,
हर दिन, हर पल आप बहुत याद आओगी।
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