दाग की सर्वव्यापकता
सिर्फ विज्ञापनों की भाषा में
दाग अच्छे होते हैं
हकीकत में तो सभी
दागों से बचना चाहते हैं
कपडों पर लगे दाग
डिटरजेंट से मिटाये जा सकते हैं
लेकिन कुछ दागों को मिटाने की कोशिश में
पसीना आ जाता है
खून करने के बाद
दागों को पानी से धोने की कोशिश की जाती है
लेकिन ये दाग भी रह रह कर उभरते हैं
और एक सबूत के तौर पर दर्ज हो
गुनाहगार को सजा दिला देते हैं
दाग चेहरे के हों या चरित्र के
हर कोई इन्हें मिटाना चाहता है
ये रह जाते हैं तो हर समय आत्मा को छीलते हैं
हमारे आपके जीवन में हर कहीं
ये दाग आसानी से मिल जायेंगे
इन्हें चुनौती देने पर ये और बुलन्दगी से उभरते हैं
ये दाग हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं
बड़े बड़े नेता अभिनेता और अफसर भी
इन दागों से अछूते नहीं हैं
कई सन्त महापुरुषों के जीवन में ये दाग उभरते हैं
और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है
ये दाग
मरने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ते
इनका आना बहुत बारीक बिंदु जैसा लगता है
लेकिन बाद में ये स्याही जैसे बड़े धब्बे जैसे हो जाते हैं
और जीवन बदरंग बना देते हैं
दाग
सर्वव्यापक हैं
हर किसी के पास हैं
हमाम में सभी दागदार हैं।