दस्तूर
गौरव बेटा जो तुम्हारी समझ की डोर है न.
जो अपने जेब में रखते है,
वे बाजीगर होते हैं,
कुछ नहीं होता उनके पास,
फिर भी सारा मीना बाजार दिखला देते है.
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दस्तूर है जमाने का,
काँटे पर आटा लगाकर मछली पकडऩे का,
बीन की धुन से निकली तरंगों से साँप नचाने का,
अंधेरे में टॉर्च जलाकर, खरगोश नचाने का.
होश में हो तो खुद को बचा लोगे,
बेहोशी में हो तो यूं ही ठगे जावोगे.
दोषी भगवान को ठहराओगे.
तमाशबीन भले बने रहो.
पैसे तुमसे भी ठगे जायेंगे.
सार:- अपनी अपनी समझ को प्राथमिकता दो.