दलितों से अपील
हमें मंदिरों और मूर्तियों के भ्रमजाल से बाहर निकल कर पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं और ध्यान केंद्रों की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। वरना उनमें और हममें अंतर ही क्या रह जाएगा! (अंबेडकर और रैदास की मूर्तियों के तोड़े जाने पर मेरे विचार)
हमें मंदिरों और मूर्तियों के भ्रमजाल से बाहर निकल कर पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं और ध्यान केंद्रों की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। वरना उनमें और हममें अंतर ही क्या रह जाएगा! (अंबेडकर और रैदास की मूर्तियों के तोड़े जाने पर मेरे विचार)