*दलबदलू माहौल है, दलबदलू यह दौर (कुंडलिया)*
दलबदलू माहौल है, दलबदलू यह दौर (कुंडलिया)
संगी कोई और है, नयनों में है और
दलबदलू माहौल है, दलबदलू यह दौर
दलबदलू यह दौर, कौन किसका हो जाए
जिसको समझें मित्र, शत्रु वह ही कहलाए
कहते रवि कविराय, चाल जग चले दुरंगी
जिस से दीखे लाभ, चतुर उस ही के संगी
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451