दर्द में आदत है मुस्कुराने की
वो भी करने लगे ज़िद जाने की
हमको आदत नही मनाने की
हाल बेहाल ज़िंदगी भी थी
उसने कोशिश की आज़माने की
जख़्म गहरे बहुत थे ज़माने के
साज़िश पूरी की आज़माने की
ज़ख्म गहरे देते है ज़माने के
दर्द में आदत है मुस्कुराने की
आबरू लूट लेते है यों तो
वो क़सम खाये है सताने की
नवनिहालो को संस्कार सिखाओ
तुम भी कोशिश करो पढ़ाने की
व्योम सी शून्यता यूं व्याप्त थी
खाली ह्रदय में जगमगाने की
-आकिब जावेद