दर्द की वह शाख भी
दर्द की वह शाख भी
सर्द हुई
बर्फ हुई
गल गई
पिघल गई
जड़ से खत्म हुई
तुझसे जो मैं जुदा हुई
खुद से विरक्त हुई
खुद में इतनी तन्हा हुई
मायूस हुई
उदास हुई कि
न खुद से
न खुदा से
न दुनिया से
न इसकी बहार से
न इसके रंगबिरंगी खुशबू भरे फूलों की गुफ्तगू से कभी
मुलाकात हुई।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001